मध्य प्रदेश के उज्जैन में श्री रामजनार्दन मंदिर में शुक्रवार शाम 5 बजे वैदिक रीति से श्रीराम-जानकी का विवाह संपन्न होगा। सुबह भगवान का अभिषेक, पूजन और विशेष श्रृंगार किया गया। विवाह की विभिन्न रस्में निभाई जा रही हैं। मंदिर में आकर्षक दीपमाला सजाई जाएगी। आतिशबाजी की जाएगी। महाप्रसादी का वितरण किया जाएगा।
अगर आप देखना चाहते हैं कि त्रेता युग में भगवान श्री राम और माता जानकी का विवाह कैसे हुआ था, तो उज्जैन के श्री राम जनार्दन मंदिर आइए। इस मंदिर के गर्भगृह में 300 साल पुराने भित्ति चित्रों की समृद्ध श्रृंखला राम-सीता विवाह का सजीव चित्रण प्रस्तुत करती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मालव मराठा शैली में बने ये चित्र 17वीं शताब्दी में मंदिर के पुनर्निर्माण के दौरान बनाए गए थे। समय के साथ-साथ मौसम के प्रभाव और मंदिर में दैनिक पूजा और आरती में इस्तेमाल होने वाली धूप और दीयों के धुएं के कारण प्राचीन कला को थोड़ा नुकसान जरूर हुआ है।
अगर आप देश और दुनिया की ताज़ा ख़बरों और विश्लेषणों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो हमारे यूट्यूब चैनल और व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें। 'बेजोड़ रत्ना' आपके लिए सबसे सटीक और बेहतरीन समाचार प्रदान करता है। हमारे यूट्यूब चैनल पर सब्सक्राइब करें और व्हाट्सएप चैनल पर जुड़कर हर खबर सबसे पहले पाएं। लिंक नीचे दिए गए हैं।
1000 साल पहले परमार राजा भोज ने इसका निर्माण करवाया था।
मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन में मंगलनाथ मंदिर मार्ग पर खाक चौक के पास प्राचीन विष्णु सागर के तट पर श्री राम जनार्दन मंदिर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण एक हजार साल पहले परमार राजा भोज ने करवाया था।
समय के साथ मंदिर के नष्ट हो जाने के बाद इंदौर की महारानी देवी अहिल्याबाई ने 17वीं शताब्दी में मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था। वहीं मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर मालव मराठा शैली में चित्रकारी कराई गई थी।
डेढ़ साल पहले विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के चित्रकला विभाग के शोधकर्ता तिलक राजसिंह सोलंकी ने गुरु श्री कृष्ण जोशी के मार्गदर्शन में इन चित्रों की खोज की थी। भित्ति चित्रों में भगवान श्री राम की जन्म कुंडली से लेकर उनके विवाह तक की सभी बातें मौजूद हैं।
इनमें जनक के दरबार में भगवान श्री राम द्वारा शिव का धनुष तोड़ने, सीता स्वयंवर और श्री राम और जानकी के विवाहोत्सव के भित्ति चित्र शामिल हैं। हालांकि, तीन शताब्दियों में मौसम के प्रभाव के कारण अधिकांश चित्र फीके पड़ गए हैं।
विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्ववेत्ता डॉ. रमन सोलंकी ने बताया कि श्री राम जनार्दन मंदिर में वनवासी वेश में भगवान श्री राम, सीता और लक्ष्मण जी की दुर्लभ प्रतिमाएं स्थापित हैं। इसमें भगवान श्री राम और लक्ष्मण जी बढ़ी हुई दाढ़ी-मूंछ के साथ हाथों में धनुष-बाण लिए उत्तर दिशा की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं।
अगर आप देश और दुनिया की ताज़ा ख़बरों और विश्लेषणों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो हमारे यूट्यूब चैनल और व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें। 'बेजोड़ रत्ना' आपके लिए सबसे सटीक और बेहतरीन समाचार प्रदान करता है। हमारे यूट्यूब चैनल पर सब्सक्राइब करें और व्हाट्सएप चैनल पर जुड़कर हर खबर सबसे पहले पाएं। लिंक नीचे दिए गए हैं।
यहां भी क्लिक करें: माता जानकी और भगवान श्रीराम का विवाह आज... सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग में मनाई जाएगी विवाह पंचमी
किंवदंतियों के अनुसार, वनवास के दौरान भगवान श्री राम, सीता, लक्ष्मण उज्जैन आये थे। उन्होंने यहां षड विनायक की भी स्थापना की। युवा शक्ति सांस्कृतिक समिति द्वारा प्रत्येक वर्ष अगहन मास की विवाह पंचमी को श्री राम जनार्दन मंदिर में श्री राम विवाहोत्सव का आयोजन किया जाता है।