हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह रोकने के लिए जरूरी नियम जारी किए हैं। अब इन नियमों का पालन कराने की कवायद राज्य स्तर पर शुरू हो गई है। ताजा खबर मध्य प्रदेश के जबलपुर से है। यहां विवाह कराने वाले पुजारी के लिए दूल्हा-दुल्हन का जन्म प्रमाण पत्र जांचना अनिवार्य कर दिया गया है।
बाल विवाह की रोकथाम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जरूरी एडवाइजरी जारी की है। इसके बाद मध्य प्रदेश के जबलपुर में जिला न्यायालय के न्यायाधीश डीपी सूत्रकार ने भी निर्देश जारी किए हैं।
नगर निगम और जबलपुर न्यायक्षेत्र को लेकर जारी एडवाइजरी में निर्देश दिया गया है कि विवाह संपन्न कराने से पहले पुरोहित को वर-वधू का जन्म प्रमाण पत्र जांचना होगा।
इतना ही नहीं मैरिज गार्डन और होटल संचालकों को भी शादी समारोह की बुकिंग से पहले यही करना होगा। ऐसा न करने पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किया जाएगा।
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एडवाइजरी में कहा गया है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी एडवाइजरी को गंभीरता से लिया और प्रदेश के सभी मजिस्ट्रेट को एडवाइजरी की प्रति देकर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के आदेश दिए हैं।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 की धारा 13 के तहत निर्देश जारी किए जाते हैं कि जबलपुर नगर निगम के क्षेत्राधिकार में विवाह कराने वाले मैरिज गार्डन, होटल और पुजारी वर-वधू के जन्म प्रमाण पत्र की जांच करें।
अगर दूल्हे की उम्र 21 साल और दुल्हन की उम्र 18 साल से कम है तो विवाह नहीं कराया जाए। एडवाइजरी का उल्लंघन करने पर स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान के आधार पर बाल विवाह संस्कार कराने का अपराध दर्ज किया जाएगा, जो जमानती होगा।
इसकी धारा 10 के तहत दो साल की कैद और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है। एडवाइजरी को तत्काल प्रभाव से लागू करने के आदेश भी जारी किए गए हैं। इस संबंध में नगर निगम को आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं।
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अपराध से जुड़े एक अन्य मामले में डिंडौरी जिले के शहपुरा थाना अंतर्गत ग्राम बटोंधा तिराहा निवासी एक पति को पत्नी को धमकाने और मारपीट करने के आरोप में तीन वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। मीडिया सेल प्रभारी मनोज कुमार वर्मा ने बताया कि वर्ष 2020 में पत्नी की शिकायत पर आरोपी पति विकास जैन पिता प्रदीप जैन उम्र 40 वर्ष निवासी बटोंधा तिराहा शहपुरा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
पत्नी के चरित्र पर संदेह करने, गाली-गलौज करने, मारपीट करने तथा जान से मारने की धमकी देने के मामले की सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम ने आरोपी विकास जैन को यह सजा सुनाई है।
बताया गया कि पीड़िता प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोहनी देवरी में स्टाफ नर्स के पद पर पदस्थ है। 1 जून 2020 को उसके पति द्वारा विवाद किया गया था। शिकायत किए जाने के बाद से यह मामला लंबित था।