- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके मशहूर हस्तियों के डीपफेक विज्ञापन बनाए जा रहे हैं, इनके झांसे में न आएं

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके मशहूर हस्तियों के डीपफेक विज्ञापन बनाए जा रहे हैं, इनके झांसे में न आएं

सोशल मीडिया पर सेलिब्रिटी के विज्ञापन देखने के बाद कोई भी मोबाइल ऐप डाउनलोड करने से पहले जांच लें कि वह डीपफेक है या नहीं। इस तरह के विज्ञापन ज्यादातर सट्टेबाजी वाले ऐप्स के प्रचार में देखे जाते हैं। जैसे ही आप इन ऐप्स को डाउनलोड करते हैं, आपका डेटा उनके पास चला जाता है।

आजकल इंस्टाग्राम और फेसबुक पर अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, मुकेश, सचिन तेंदुलकर समेत कई सेलिब्रिटी बेटिंग ऐप्स के जरिए अमीर बनने की बात करते देखे जा सकते हैं। लेकिन इन रील्स या विज्ञापनों के झांसे में न आएं, क्योंकि ये रील्स और विज्ञापन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI से तैयार किए जाते हैं।

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 इन्हें डीपफेक वीडियो विज्ञापन कहते हैं। अगर आप इन ऐप्स को डाउनलोड करते हैं तो सबसे पहले आपके फोन का डेटा कंपनियों के पास पहुंच जाएगा। दूसरे, जब आप इन ऐप्स पर गेम खेलेंगे तो आप जरूर हारेंगे।

हो सकता है कि आप थोड़ी सी रकम लगाकर जीत जाएं, लेकिन जैसे ही आप बड़ी रकम देकर खेलेंगे, आप हार जाएंगे और आपको नुकसान होगा। आप इसकी शिकायत पुलिस से भी नहीं कर सकते।

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हम सेलिब्रिटीज के डीपफेक वीडियो क्यों इस्तेमाल करते हैं

देश में जब कोई सेलिब्रिटी किसी चीज का विज्ञापन करता है तो लोग उस पर ध्यान देते हैं और उस चीज का इस्तेमाल करते हैं। इसका फायदा सट्टे के ऐप चलाने वाली कंपनियां उठा रही हैं। वे डीपफेक वीडियो के जरिए इंस्टाग्राम और फेसबुक पर इन सेलिब्रिटीज का प्रचार कर रही हैं और लोग उनके जाल में फंस रहे हैं।

ऐसे हुआ नुकसान

मुरैना निवासी अतुल पाराशर इंस्टाग्राम पर रील्स देख रहे थे, तभी एक गेम का विज्ञापन आया। उस विज्ञापन में एक सेलिब्रिटी डाउनलोड करके अमीर बनने को कह रहा था। उन्होंने वह गेम डाउनलोड कर लिया। इसके बाद उन्होंने 10 रुपए देकर गेम में प्लेन उड़ाया, लेकिन वे हार गए। इस तरह उन्होंने कई बार पैसे देकर जीतने की कोशिश की, लेकिन हर बार हार गए।

इसी तरह विजेंद्र सिंह ने भी सेलिब्रिटी द्वारा प्रमोट किए गए गेम को डाउनलोड किया। इस गेम में तुरंत पेमेंट करने की बात कही गई। विजेंद्र सिंह ने गेम खेला। उन्होंने करीब 60 हजार रुपए भी जीते, लेकिन जब पेमेंट पाने के लिए प्रक्रिया हुई तो उनसे पोर्टल चार्ज के तौर पर 360 रुपए मांगे गए। पेमेंट करने के बाद भी उनकी रकम अकाउंट में नहीं आई।

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केवल इंस्टाग्राम और फेसबुक ही क्यों?

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इंस्टाग्राम और फेसबुक आजकल इंटरनेट पर सोशल प्लेटफॉर्म हैं। देश के लोग इंटरनेट मीडिया के दोनों प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे अपना खाली समय इन पर बिता रहे हैं। इसलिए, दोनों प्लेटफॉर्म पर यूजर्स से सट्टा लगवाने वाली कंपनियां उन्हें अपना शिकार बना रही हैं।

इस तरह से करते हैं लोगों को ठगी

  • वे डीपफेक विज्ञापनों के जरिए अपना बेटिंग ऐप डाउनलोड करने के लिए कहते हैं।
  • ऐप डाउनलोड करने के बाद कम से कम एक या दो रुपये से सट्टा लगाने का विकल्प मिलता है।
  • छोटे-मोटे दांव की सुविधा देकर यूजर्स को बार-बार पैसे लगाने के लिए मजबूर किया जाता है।
  • कुछ फर्जी प्लेटफॉर्म नतीजों को नियंत्रित करते हैं, ताकि यूजर बार-बार हारें।

जीतने के बाद भी पैसे नहीं निकाले जाते

  • जटिल नियम और शर्तें: जीती हुई रकम निकालने के लिए कई शर्तें लगाई जाती हैं।
  • रिफंड में देरी: भुगतान में जानबूझकर देरी की जाती है या फीस काट ली जाती है।

यह भी एक नुकसान है

  • डेटा का दुरुपयोग: यूजर्स की निजी और बैंकिंग जानकारी चुराकर बेची जाती है या उसका दुरुपयोग किया जाता है।
  • ब्लैक मार्केट का इस्तेमाल: अवैध लेनदेन के लिए ब्लैक मार्केट के चैनलों का इस्तेमाल किया जाता है।
  • वित्तीय घाटा: उपयोगकर्ता बार-बार हारने के लिए अधिक पैसे दांव पर लगाते हैं, जिससे कर्ज बढ़ जाता है।
  • लत: उपयोगकर्ता जुए के आदी हो जाते हैं, जो उनके मानसिक और सामाजिक जीवन को नुकसान पहुंचाता है।

शिकायत भी नहीं कर सकते

इंटरनेट मीडिया खासकर इंस्टाग्राम और फेसबुक पर डीपफेक वीडियो के विज्ञापन आते हैं। लोग भ्रमित होकर उन्हें डाउनलोड करते हैं, खेलते हैं और हार जाते हैं। वे इसकी शिकायत भी नहीं कर सकते। ट्राई और सरकार को इस पर लगाम लगानी चाहिए। साथ ही गूगल से शिकायत करनी चाहिए कि ऐसे ऐप गूगल प्ले पर न हों। इससे लोग इन्हें डाउनलोड करने से बचेंगे। - चातक बाजपेयी, साइबर एक्सपर्ट

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