अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ सालों में हुई पेपर लीक और सामूहिक नकल की घटनाओं से सबक लेते हुए कानून में संशोधन किया जा रहा है। इसके पीछे मकसद परीक्षाओं में गड़बड़ी, नकल या पेपर लीक करने वालों के मन में सजा का डर पैदा करना है।
भोपाल. मध्य प्रदेश की परीक्षाओं में नकल, सामूहिक नकल और पेपर लीक करना महंगा साबित हो सकता है। सरकार ऐसा करने पर सजा को बढ़ाकर 10 साल जेल और एक करोड़ रुपये का जुर्माना करने जा रही है। इसके लिए मध्य प्रदेश मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव तैयार है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाना है।
इस कानून के दायरे में माध्यमिक शिक्षा मंडल, मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन बोर्ड की सभी परीक्षाएं आएंगी। बताया जा रहा है कि अब तक इस कानून में अनुचित साधन यानी नकल करने की सजा तीन साल जेल और पांच हजार रुपये तक का जुर्माना था। प्रश्नपत्र लीक करने, उन्हें व्यापक रूप से प्रसारित करने, सामूहिक नकल करवाने या परीक्षा की गोपनीयता भंग करने जैसे अपराधों में जेल और जुर्माने के प्रावधान एक जैसे हैं, लेकिन अब सजा सख्त होगी।
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इसके लिए अधिकारियों ने केंद्र सरकार के कानून सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अधिनियम 2024 को भी आधार बनाया है। संशोधन पारित होकर कानून बन गया तो नकल, सामूहिक नकल, पेपर लीक और परीक्षा की गोपनीयता भंग करने जैसे अपराधों पर 10 साल की सजा और एक करोड़ रुपये तक का भारी जुर्माना हो सकता है।
अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ सालों में हुई पेपर लीक और सामूहिक नकल की घटनाओं से सबक लेते हुए कानून में संशोधन किया जा रहा है। कोशिश यह है कि ऐसा करने वालों के मन में सजा का डर पैदा हो। दो साल पहले माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं और 12वीं कक्षा के 16 विषयों के प्रश्नपत्र खूब वायरल हुए थे। वहीं, व्यापमं और लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में भी पेपर लीक और सामूहिक नकल की कई घटनाओं पर विवाद हो चुका है।
नकल माफिया से वसूला जाएगा परीक्षा का खर्च
प्रस्तावित कानून में फर्जी प्रश्नपत्र बांटना, फर्जी सेवायोजन वेबसाइट बनाने को भी अपराध बताया गया है। इस तरह के फर्जीवाड़े से अगर परीक्षा टलती है तो उस पर पड़ने वाला वित्तीय भार ऐसे फर्जीवाड़ा करने वालों, नकल माफिया या सॉल्वर गिरोह से वसूला जाएगा। परीक्षा में गड़बड़ी करने वाली कंपनियों और सेवा प्रदाताओं को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। इसकी वसूली राजस्व बकाये की तरह होगी। इसमें कुर्की का विकल्प भी शामिल है।
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परीक्षा केंद्रों पर मोबाइल पूर्ण प्रतिबंधित
मौजूदा कानून में परीक्षा केंद्र पर परीक्षार्थी के मोबाइल, कैलकुलेटर समेत कोई भी इलेक्ट्रानिक उपकरण ले जाने पर प्रतिबंध है। केंद्र पर प्रबंधन और पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी संभाल रहे लोगों को मोबाइल ले जाने और इस्तेमाल करने से छूट मिली हुई है। बताया जा रहा है कि नए कानून में केंद्र अध्यक्ष का भी मोबाइल फोन ले जाना प्रतिबंधित होगा। ऐसा किया तो उन्हें भी 10 साल की जेल और एक करोड़ रुपये जुर्माने की सजा भुगतनी होगी। इस प्रविधान के पीछे प्रश्नपत्रों की फोटो खींचकर इंटरनेट मीडिया के माध्यम से बहुप्रसारित करने की प्रवृत्ति बताई जा रही है।
परीक्षाओं की गड़बड़ी रोकने के लिए वर्तमान प्रविधान को और प्रभावी बनाने के लिए संशोधन प्रस्तावित है। हमारा प्रयास है कि विधानसभा के आगामी सत्र में इसे प्रस्तुत कर दिया जाए।
- डॉ. संजय गोयल, सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग