सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कमेटी (सीएक्यूएम) के 16 सदस्यों में से 8 सदस्य अनुपस्थित थे। हमारे पिछले आदेशों के बावजूद 8 सदस्य अनुपस्थित थे। ऐसे सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। आयोग को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि क्या इस क्षेत्र के जाने-माने संगठनों के विशेषज्ञों को कमेटी की बैठकों का हिस्सा बनने की अनुमति दी जा सकती है।
पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं और वायु प्रदूषण में वृद्धि पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि सीएक्यूएम (एयर क्वालिटी मैनेजमेंट आयोग) में सदस्यों की नियुक्ति कैसे की जाती है?
सुप्रीम कोर्ट के इन सवालों का जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि उन्होंने एनईआरआई के विशेषज्ञों की मदद ली है। इस पर कोर्ट ने कहा कि हमने देखा है कि कमेटी की बैठक में कई लोग मौजूद नहीं होते हैं। अगर ऐसे सदस्य हैं तो वे कमेटी में रहने के लायक नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से अगले बुधवार को यह बताने को कहा है कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के कामकाज से जुड़ी विशेषज्ञ एजेंसियां कौन-कौन सी हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समिति के 16 सदस्यों में से 8 सदस्य अनुपस्थित थे। हमारे पिछले आदेशों के बावजूद 8 सदस्य अनुपस्थित थे। ऐसे सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। आयोग को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि क्या इस क्षेत्र के जाने-माने संगठनों के विशेषज्ञों को समिति की बैठकों का हिस्सा बनने की अनुमति दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि राज्य सरकारों द्वारा पराली जलाने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई न करने के इस रवैये का क्या किया जाना चाहिए? हो सकता है कि वे किसी की मदद करना चाहते हों। हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है। पंजाब के एडवोकेट जनरल ने साफ शब्दों में कहा है कि मुकदमा चलाना संभव नहीं है और अगर ऐसा है तो लोग मामूली जुर्माना भरते रहेंगे और बच निकलेंगे। बस कुछ हजार रुपये भरो और फिर पराली जलाना जारी रखो। इस मामले में अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी