Airforce News: भारतीय वायुसेना आकाश एयर डिफेंस सिस्टम की तरह ही पुरानी रूसी मिसाइलों का इस्तेमाल कर स्वदेशी नई एयर डिफेंस सिस्टम समर-2 का परीक्षण करने की तैयारी कर रही है। खास बात यह है कि समर-2 की रेंज करीब 30 किलोमीटर है।
क्या पुराने हथियारों का दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है? इस सवाल पर काफी बहस हो सकती है। लेकिन भारतीय सेना इन हथियारों की उपयोगिता जानती है और इन्हें रिटायर करने की बजाय देश की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल कर रही है। भारतीय वायुसेना आकाश एयर डिफेंस सिस्टम की तरह ही पुरानी रूसी मिसाइलों का इस्तेमाल कर स्वदेशी नई एयर डिफेंस सिस्टम समर-2 का परीक्षण करने की तैयारी कर रही है। खास बात यह है कि समर-2 की रेंज करीब 30 किलोमीटर है।
यहाँ भी पढ़िए UP News: वजूखाना के सर्वेक्षण की मांग वाली याचिका पर सुनवाई टली, अब 22 अगस्त को होगी जिरह
समर-2 एयर डिफेंस सिस्टम की रेंज 30 किलोमीटर है
तरंग शक्ति एयर एक्सरसाइज में मौजूद समर-2 प्रोजेक्ट से जुड़े वायुसेना अधिकारियों ने अमर उजाला को बताया कि उन्होंने पुरानी रूसी मूल की आर-73 और आर-27 एयर-टू-एयर मिसाइलों को नया स्वरूप देकर समर को विकसित किया है। समर-2 का फायरिंग ट्रायल इसी साल दिसंबर में किया जाएगा। समर-2 एयर डिफेंस सिस्टम की रेंज 30 किलोमीटर है, यानी यह सिस्टम 30 किलोमीटर की दूरी पर दुश्मन के ड्रोन, यूएवी, हेलीकॉप्टर, फाइटर जेट और मिसाइलों को मार गिरा सकता है।
नाम न बताने की शर्त पर अधिकारियों ने बताया कि ये मिसाइलें सालों पहले रूस से खरीदी गई थीं, और अब ये पुरानी हो रही थीं। जिसके बाद भारतीय वायुसेना ने इन्हें सरफेस-टू-एयर एयर डिफेंस सिस्टम में बदलने का फैसला किया। सूत्रों का कहना है कि स्वदेशी तौर पर विकसित इस एयर डिफेंस सिस्टम ने दिखाया है कि भारतीय वायुसेना पुरानी मिसाइलों का किस तरह से प्रभावी तरीके से इस्तेमाल करती है। भारत के पास पुरानी मिसाइलों का जखीरा
भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में राजस्थान के पोखरण में हुए वायु शक्ति 2024 अभ्यास में समर एयर डिफेंस सिस्टम ने अपनी ताकत दिखाई।
उन्होंने कहा कि हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, जो अपनी शेल्फ लाइफ पूरी कर चुकी हैं और इसलिए हवाई प्रक्षेपण के लिए सुरक्षित नहीं हैं, उन्हें सतह से हवा में मार करने वाली समर-2 एयर डिफेंस सिस्टम के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं, समर-1 को पहले ही सेना में शामिल किया जा चुका है और इसकी रेंज 8 किलोमीटर है। दोनों ही सिस्टम रूस से खरीदी गई हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का इस्तेमाल करते हैं। समर-1 जहां आर-73ई मिसाइल से लैस है, वहीं नए वर्जन समर-2 में आर-27 मिसाइल है। आपको बता दें कि सिपरी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने 1987 से अब तक 4500 से ज्यादा आर-73 मिसाइलें खरीदी हैं। जबकि वायुसेना के पास भी सैकड़ों आर-27 मिसाइलें हैं। समर-1 और समर-2 क्या हैं
भारतीय वायुसेना के अनुसार, स्वदेशी रूप से विकसित समर-1 प्लेटफॉर्म 2 से 2.5 मैक की गति से मिसाइलों को लॉन्च कर सकता है। वहीं, इसमें ट्विन-बुर्ज रेल लॉन्च प्लेटफॉर्म है, जो सिंगल या साल्वो मोड में दो मिसाइलों को लॉन्च कर सकता है। एयरो इंडिया 2023 में भारतीय वायुसेना ने ट्रायल फायरिंग के दौरान समर-1 सिस्टम से 17 राउंड लॉन्च करके दुनिया को चौंका दिया। समर मिसाइल को ट्रक से लॉन्च किया जाता है, जिसकी स्पीड 2982 किलोमीटर प्रति घंटा है।
समर का पूरा नाम सरफेस-टू-एयर मिसाइल फॉर एश्योर्ड रिटेलिएशन है। वायुसेना की बेस रिपेयर डिपो (बीआरडी) यूनिट इसे संचालित करती है। समर-1 का वजन 105 किलोग्राम है, यह 9.7 फीट लंबा, 6.5 इंच व्यास का है और इसमें 7.4 किलोग्राम का वारहेड है। समर-1 की रेंज 12 किलोमीटर है। यह लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और यूएवी जैसे कम ऊंचाई वाले विमानों को मार गिराने में सक्षम है।
जबकि समर-2 का वजन 253 किलोग्राम है। इसकी लंबाई 13.4 फीट है। इसमें 39 किलोग्राम का वारहेड लगाया जा सकता है। दोनों मिसाइलों को लॉन्च करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ट्रक भी अलग-अलग हैं। समर-1 के लिए अशोक लेलैंड स्टैलियन 4x4 ट्रक का इस्तेमाल किया जाता है। जबकि समर-2 के लिए BEML टाट्रा T815 8x8 ट्रक का इस्तेमाल किया जाता है।
यहाँ भी पढ़िए UP News: उन्नाव के युवक ने केबीसी में किया कमाल, 13 सवालों के जवाब देकर जीते 25 लाख रुपये
भारत के पास हैं ये एयर डिफेंस सिस्टम
इसके अलावा DRDO प्रोजेक्ट कुशा के तहत स्वदेशी लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली भी विकसित कर रहा है। इसकी रेंज 350 किलोमीटर होगी और इसे चार से पांच साल में तैनात किए जाने की उम्मीद है। इसके अलावा DRDO ने देश में निर्मित एक बहुत छोटी दूरी की एयर डिफेंस प्रणाली (VSHORDS) भी विकसित की है।
दोस्तों आपके लिए एक जानकारी है अगर आप भी भारत के नागरिक हैं तो आपको हमारे Whatsapp Channel से जरूर जुड़ना चाहिए क्योंकि भारत की जितनी भी लेटेस्ट न्यूज़ , सरकारी नौकरी या कोई अन्य नौकरी या किसी भी प्रकार की सरकारी योजना है किसी भी प्रकार का अपडेट आपको Whatsapp Channel के माध्यम से आसान भाषा में दिया जाता है और वेबसाइट के माध्यम से भी दिया जाता है तो आप चाहें तो नीचे दिए गए लिंक के जरिए से जुड़ सकते हैं।
भारत के पास विमान रोधी हथियारों का बेड़ा है जिसमें एस-400 वायु रक्षा प्रणाली और इजराइल के सहयोग से विकसित मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआरएसएएम) प्रणाली शामिल है। इसके अलावा, इजराइली स्पाइडर, सोवियत मूल के पेचोरा, ओएसए-एके, तुंगुस्का, स्ट्रेला और शिल्का, जू-23-2बी विमान रोधी बंदूकें, उन्नत एल-70 विमान रोधी बंदूकें (स्वीडिश हथियार फर्म बोफोर्स एबी द्वारा निर्मित) और इग्ला मैनपैड्स (मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम) भी हैं।