नई दिल्ली । राजधानी के अलग-अलग इलाकों के फ्लाईओवर के नीचे, फुटपाथ पर रहने वाले बेसहारा लोगों को ठंड से बचाने के लिए हर वर्ष आश्रय गृह काफी मददगार साबित होते हैं। बेसहारा लोगों को इस भीषण गर्मी व लू से बचाने के लिए आश्रय गृह ही एकमात्र सहारा है, लेकिन हीट वेव से बचाने के लिए यह आश्रय गृह न तो तैयार हैं और न ही लोगों को राहत देने के लिए यहां कोई सुविधाएं हैं। किसी आश्रय गृह में पीने का पानी नहीं है तो किसी में नहाने की सुविधा नहीं है। किसी में कूलर नहीं है तो किसी में कूलर खराब पड़े हैं।पानी पीने के लिए भी लोगों को 500 मीटर दूर जाना पड़ता है। जब तक वह वहां जाते हैं, पसीने में भीग जाते हैं। हालत ऐसी हो गई है कि लोग आश्रय गृह में रुकने की बजाय आसमान से बरसती आग के बीच में मेट्रो के पिलरों के नीचे, मेट्रो स्टेशन के नीचे मिल रही थोड़ी बहुत छांव में रह रहे हैं। हालत ऐसी है कि जब वह पानी पीकर वापस लौटते हैं तो सारे कपड़े भीग चुके होते हैं और दोबारा प्यास लग जाती है।आश्रय गृह में रहने वाले लोग पानी के लिए कई बार शिकायत कर चके हैं,