- 60 किलो वन्यजीव मांस के साथ पकड़े गए इम्तियाज खान के पास यूएई का पहचान पत्र मिला

60 किलो वन्यजीव मांस के साथ पकड़े गए इम्तियाज खान के पास यूएई का पहचान पत्र मिला

वन्य जीव मांस के साथ तीन आरोपी पकड़े गए। इनमें से दो के मोबाइल अब तक एसटीएसएफ अनलॉक नहीं कर पाई है। दोनों अलग-अलग बहाने बनाकर गुमराह कर रहे हैं। कभी कहते हैं कि फेस से अनलॉक होगा तो कभी किसी और तरीके से। जबकि फोन में पिन पासवर्ड लगा होता है।

वन्य जीवों का मांस मुंबई ले जाने वाले तीनों आरोपियों इम्तियाज खान, जौहर हुसैन और सलमान पियारजी को जेल भेज दिया गया है। इम्तियाज खान के पास संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का पहचान पत्र मिला है। इस निवासी पहचान पत्र को जब्त कर लिया गया है।

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 पूछताछ में इम्तियाज ने बताया कि वह वहीं काम करता है। वहीं जौहर हुसैन भी कई बार खाड़ी देश जा चुका है। राज्य टाइगर स्ट्राइक फोर्स और वन विभाग अब तीसरे आरोपी सलमान के बारे में जानकारी जुटा रहा है। तीनों आरोपियों के पासपोर्ट का पता लगाने की कोशिश की जा रही है।

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अवैध हथियार रखने पर आर्म्स एक्ट का मामला दर्ज होगा

अधिकारियों के अनुसार इनोवा में मिली रिवॉल्वर समेत अवैध हथियार रखने पर आर्म्स एक्ट की धाराओं के तहत अलग से मामला दर्ज किया जाएगा। इस संबंध में किशनगंज थाने को पत्र लिखा गया है। पीथमपुर चौपाटी से 60 किलो वन्य जीव मांस के साथ तीन आरोपियों को पकड़ा गया।

 ये तीनों मूल रूप से मुंबई के अंधेरी इलाके के रहने वाले हैं। जांच एजेंसी को जौहर हुसैन के मोबाइल से सऊदी अरब में रहने वाले लोगों के नंबर मिले हैं। हुसैन इन नंबरों पर नियमित रूप से बात करता है। इम्तियाज और सलमान ने इनके बारे में कुछ नहीं बताया है।

हुसैन के फोन में कुछ वीडियो भी मिले हैं, जिसमें मुंबई के कई बड़े लोग नजर आ रहे हैं। हुसैन की अय्याशी के कुछ वीडियो भी हैं। वन अधिकारियों के मुताबिक, आरोपियों से जुड़े दस्तावेज कोर्ट में पेश किए गए हैं।

 एजेंसी ने उन्हें दो घंटे तक हिरासत में रखा था।

 किशनगंज पुलिस और वन विभाग आरोपियों की गिरफ्तारी के बारे में मुखबिरों से मिली सूचना का हवाला दे रहे हैं।

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अधिकारी नहीं दे रहे निर्देश

जांच अधिकारी खाली हाथ हैं, क्योंकि अन्य दो आरोपियों के फोन का स्क्रीन लॉक नहीं खुल रहा है। तीन दिन तक आरोपियों से पासवर्ड पूछा गया, लेकिन वे अधिकारियों को गुमराह करते रहे। कभी फेस लॉक तो कभी फिंगर लॉक की बात करते रहे। जबकि उन्होंने मोबाइल को पिन से लॉक किया हुआ है।

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पूरे मामले में एसटीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि उन्होंने अभी तक मोबाइल को अनलॉक करने के लिए फोरेंसिक लैब भेजने और कंपनी से लॉक खुलवाने के लिए कोई निर्देश नहीं दिए हैं। यहां तक ​​कि सीडीआर जांच भी नहीं भेजी है।

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