- बुलेट प्रूफ जैकेट घोटाले का 'जिन्न' फिर आया बाहर, जांच की मांग को लेकर पीएम को लिखा पत्र

बुलेट प्रूफ जैकेट घोटाले का 'जिन्न' फिर आया बाहर, जांच की मांग को लेकर पीएम को लिखा पत्र

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में दावा किया गया है कि भूपेश सरकार में चंदे के लिए जवानों की सुरक्षा से समझौता किया गया। नक्सली इलाकों में तैनात जवानों की सुरक्षा के लिए खरीदे गए जैकेट घटिया क्वालिटी के थे। यहां तक ​​कि इस मामले में टेंडर देने के नियम भी बदल दिए गए।

प्रदेश में भूपेश बघेल सरकार में 13 करोड़ रुपए के बुलेट प्रूफ जैकेट खरीद घोटाले का भंडाफोड़ एक बार फिर हुआ है। मामले की जांच के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा गया है। मार्च में भी प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, गृह मंत्री विजय शर्मा को पत्र लिखा गया था।

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'गृह मंत्री शर्मा ने कहा था कि पुख्ता सबूत मिलने पर जांच कराई जाएगी। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में दावा किया गया है कि भूपेश सरकार में घटिया क्वालिटी के बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदे गए, दान के लिए जवानों की सुरक्षा से खिलवाड़ किया गया।

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उद्योग विभाग के एमडी अनिल टुटेजा के कहने पर पुलिस मुख्यालय ने बिलासपुर की मेसर्स प्रगति डिफेंस सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड से पूर्व निर्धारित खरीददारी की। इसके लिए नियम तक बदल दिए गए। उस कंपनी को जिम्मेदारी दे दी गई, जिसने कभी ऐसा काम नहीं किया।

 टुटेजा ने किया था अपने प्रभाव का इस्तेमाल

 पत्र में दावा किया गया है कि खरीददारी में अनियमितता की आशंका को देखते हुए गृह विभाग की ओर से दो बार फाइल पुलिस मुख्यालय को वापस भी की गई। लेकिन टुटेजा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से फाइल पर हस्ताक्षर करवा लिए। जिन बुलेट प्रूफ जैकेट की आपूर्ति की गई, वे पास सैंपल की नहीं थी। रायपुर के नरेश गुप्ता ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर फिर से जांच का अनुरोध किया है। यह है

पूरा मामला

 वर्ष 2020 में पुलिस मुख्यालय की ओर से नक्सली क्षेत्र में तैनात जवानों की सुरक्षा के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट की खरीद के लिए टेंडर जारी किया गया था। इसमें तीन कंपनियों ने हिस्सा लिया था। टेंडर की शर्तों के चलते तत्कालीन एमडी अनिल टुटेजा की पसंदीदा फर्म इसमें भाग नहीं ले सकी।

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टुटेजा के प्रभाव के चलते टेंडर प्रक्रिया निरस्त कर दी गई। नियमों में बदलाव कर टेंडर प्रक्रिया दोबारा शुरू की गई और आईएएस की पसंदीदा फर्म को खरीद की जिम्मेदारी दे दी गई। बता दें कि शराब घोटाले में फंसे अनिल टुटेजा फिलहाल जेल में हैं।

एक साल में कोई कार्रवाई नहीं

भाजपा सरकार को सत्ता में आए एक साल हो गया है। लेकिन, इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिस समय यह खरीद हुई, उस समय डीजीपी अशोक जुनेजा थे, जिन्हें रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन दे दिया गया है।

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