विवाह पंचमी पर 6 दिसंबर को देश के सभी प्रमुख राम मंदिरों में राम जानकी विवाह उत्सव मनाया जा रहा है। इस दौरान चारों भाइयों- भगवान राम, लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न की बारात बैंड-बाजे के साथ निकाली जाएगी। वैदिक मंत्रों के साथ पूजा-अर्चना की जाएगी। मंगल बधाई गीत गाए जाएंगे। इसके बाद आरती की जाएगी और प्रसाद वितरित किया जाएगा।
अगहन या मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन पुरुषोत्तम श्री राम का विवाह माता सीता से हुआ था। हर साल इस दिन को भगवान राम और माता सीता की विवाह वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है।
विवाह पंचमी के अवसर पर देशभर के प्रमुख मंदिरों में विशेष आयोजन किए जा रहे हैं। राम-सीता का विवाह रचाया जा रहा है। गुरुवार को हल्दी की रस्म अदा की गई। शुक्रवार को बारात निकलेगी।
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मान्यता है कि विवाह पंचमी पर राम-सिया की पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। इस साल विवाह पंचमी 6 दिसंबर, शुक्रवार को शुभ सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग के साथ अन्य शुभ योगों में मनाई जा रही है। इस दिन सीता-राम मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक आयोजन होंगे। श्रद्धालु पूजा-अर्चना, यज्ञ और अनुष्ठान करेंगे। कई जगहों पर श्री रामचरितमानस का पाठ भी किया जाएगा।
मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को तुलसीदास जी ने इसी दिन रामचरितमानस को पूर्ण किया था। साथ ही इसी दिन राम जी और सीता जी का विवाह हुआ था। इसलिए विवाह पंचमी के दिन रामचरितमानस का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन राम-सिया की पूजा करने से विवाह में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं।
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मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था, इसलिए इस माह को अत्यंत शुभ माना जाता है। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। यह तिथि विवाह के लिए सबसे शुभ मानी जाती है। इस दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। - पंडित जगदीश शर्मा, मध्य प्रदेश