- मधुमेह उपचार: पंचकर्म के बाद आयुर्वेदिक दवाएं देने से औसत शुगर लेवल 350 से घटकर 200 पर आया

मधुमेह उपचार: पंचकर्म के बाद आयुर्वेदिक दवाएं देने से औसत शुगर लेवल 350 से घटकर 200 पर आया

भोपाल के पं. खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेद कॉलेज में मधुमेह रोगियों पर शोध चल रहा है। यह शोध केंद्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा कराया जा रहा है। इस पर डेढ़ करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। करीब 70 फीसदी काम हो चुका है। शोध पूरा होने में करीब एक साल और लगेगा। इसके बाद केंद्र सरकार शोध के नतीजे सार्वजनिक करेगी।

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मधुमेह पर आयुर्वेदिक दवाओं और पंचकर्म का असर जानने के लिए भोपाल के पं. खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में बड़ा शोध चल रहा है। यहां 1050 मरीजों पर किए जा रहे शोध के शुरुआती नतीजे उत्साहवर्धक हैं। \

डॉक्टरों ने बताया कि जिन मरीजों का एचबीए1सी लेवल (वैल्यू) 13 था यानी तीन महीने का औसत शुगर लेवल 350 के आसपास था, उन्हें पंचकर्म की वस्ति क्रिया (दस्त ठीक करने) के बाद दवाएं देने पर कुछ मरीजों का शुगर लेवल एक हफ्ते में तो कुछ का 15 दिन में 200 पर आ गया।

1050 मरीजों को तीन समूहों में बांटा गया

शोध दल में शामिल फिजिकल मेडिसिन के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विवेक शर्मा का कहना है कि 1050 मरीजों को रैंडम आधार पर बराबर संख्या के तीन समूहों में बांटा गया है। एक समूह को पंचकर्म के साथ दवाएं दी गई हैं, दूसरे को सिर्फ दवाएं दी गई हैं और तीसरे को सिर्फ खान-पान और जीवनशैली में बदलाव करने को कहा गया है।

इन पर तीन महीने तक प्रयोग किया जाना है, हालांकि शुरुआती नतीजों में ज्यादातर मरीजों की शुगर नियंत्रित पाई गई है। इनमें से किसी को भी एलोपैथी दवाएं नहीं दी जा रही हैं।

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ऐसे दिखे नतीजे

पंचकर्म विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कामिनी सोनी ने बताया कि आयुष मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार शोध में उन्हीं मरीजों को शामिल किया गया है, जिनका एचबीए1सी 10 से कम है, ताकि स्वास्थ्य को कोई खतरा न हो।

अस्पताल में भर्ती 10 मरीजों को एक महीने में अलग-अलग समय पर पंचकर्म और दवा देने के बाद देखा गया है कि आठ के एचबीए1सी स्तर में काफी सुधार हुआ है। औसतन इसका स्तर 10 से घटकर छह के आसपास आ गया है।

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पहले भर्ती हुए मरीजों के नतीजे भी लगभग ऐसे ही थे। अपवाद स्वरूप कुछ मरीज ऐसे भी थे जिनका एचबीए1सी 13 था। पंचकर्म के बाद दवा देने पर यह छह से सात के बीच आ गया है। बता दें, एचबीए1सी टेस्ट तीन महीने तक खून में शुगर के औसत स्तर को बताता है।

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यह पंचकर्म है

  • वमन - किसी को उल्टी कराना। इसके कई तरीके हैं। इसके कई फायदे हैं लेकिन इसका सबसे ज़्यादा इस्तेमाल कफज रोग में किया जाता है।
  • विरेचन - किसी को उल्टी कराना। इसका सबसे ज़्यादा इस्तेमाल पित्त से जुड़ी बीमारियों में किया जाता है।
  • अनुवासन वस्ति - यह एनीमा की तरह काम करता है। इसके लिए अलग-अलग तरह के तेल का इस्तेमाल किया जाता है।
  • निरुहा वस्ति - इसमें काढ़ा बनाकर दस्त कराया जाता है। यह पेट और हार्मोन से जुड़ी बीमारियों में ज़्यादा उपयोगी है।
  • नस्य कर्म - इसमें नाक के ज़रिए दवा दी जाती है।

70 फीसदी काम हो चुका है

कॉलेज की रिसर्च एथिक्स कमेटी की मंजूरी के बाद 1050 मरीजों पर यह शोध किया जा रहा है। देश में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में मरीजों पर शोध किया जा रहा है। इसमें मरीजों से सहमति पत्र लिए जा चुके हैं। करीब 70 फीसदी काम हो चुका है। शोध के शुरुआती नतीजे काफी उत्साहवर्धक रहे हैं। - डॉ. उमेश शुक्ला, प्राचार्य, पं. खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद कॉलेज

दवा पैंक्रियाज को ठीक करने का काम करेगी

हर पैथी का अपना सिद्धांत होता है, इसलिए इस पर संदेह नहीं करना चाहिए। मधुमेह के उपचार में एलोपैथी और अन्य पैथी के सिद्धांत कुछ हद तक समान हो सकते हैं। जैसे जीवनशैली में बदलाव। पंचकर्म भी लगभग ऐसी ही प्रक्रिया है। जहां तक ​​दवा की बात है तो जो आयुर्वेदिक दवा पैंक्रियाज को ठीक करने या मोटापा कम करने का काम करेगी, वह मधुमेह में भी फायदेमंद होगी। वर्तमान में सामान्य आबादी में शहरी क्षेत्रों में करीब 10 से 12 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में छह से आठ फीसदी लोग मधुमेह से प्रभावित हैं। - डॉ. मनुज शर्मा, हॉर्मोन रोग विशेषज्ञ, गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल

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