- डिजिटल अरेस्ट केस स्टडी: 63 साल के डॉक्टर को 29 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया, 21 लाख रुपए की ठगी...डर का फायदा अपराधियों ने उठाया

डिजिटल अरेस्ट केस स्टडी: 63 साल के डॉक्टर को 29 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया, 21 लाख रुपए की ठगी...डर का फायदा अपराधियों ने उठाया

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में डिजिटल गिरफ्तारी का एक और मामला सामने आया है। शातिर अपराधियों ने झूठी कहानी बनाकर डॉक्टर को फंसाने की कोशिश की। डॉक्टर डर गया और अपराधियों ने इसका पूरा फायदा उठाया। यहां भी अपराधियों ने आधार के दुरुपयोग की चाल चली।

शातिर साइबर ठगों ने शहर के एक डॉक्टर को 29 घंटे तक डिजिटल गिरफ्त में रखा और उनसे 21 लाख रुपए ठग लिए। डॉक्टर गोला का मंदिर थाना क्षेत्र के हनुमान नगर में रहते हैं, ठगों ने उन्हें इतना डरा दिया कि उन्होंने 29 घंटे तक किसी से बात नहीं की और घर के बाकी सभी नंबर भी बंद करवा दिए।

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 इस घटना का खुलासा तब हुआ जब उनसे पैसे ठगने के बाद भी ठग उन्हें मैसेज करते रहे और परेशान होकर उन्होंने अपने परिचितों को इस बारे में बताया। लोगों ने उन्हें तुरंत पुलिस के पास जाने को कहा तो उन्होंने मामले की शिकायत दर्ज कराई।

गोला का मंदिर स्थित हनुमान नगर निवासी 63 वर्षीय मुकेश शुक्ला पुत्र केके शुक्ला पेशे से डॉक्टर हैं। 29 नवंबर की सुबह वह अपनी दिनचर्या में व्यस्त थे, तभी उनके मोबाइल पर एक कॉल आई।

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पढ़ें पूरी घटना: घबराकर उसने वही किया जो जालसाज चाहता था

  • कॉल एक जालसाज का था, उसने डॉक्टर को बताया कि वह एक आईटी कंपनी से बोल रहा है और उसके नाम से चल रही महालक्ष्मी ट्रांसपोर्ट कंपनी पर 9,40,044 रुपये की रिकवरी जारी हुई है।
  • उसने कहा कि महालक्ष्मी ट्रांसपोर्ट कंपनी हमारी नहीं है, तो कॉल करने वाले ने उसे डराते हुए कहा कि वह जाल में फंस गया है, इसलिए उसे दो घंटे में पुलिस मुख्यालय दिल्ली जाकर अपनी शिकायत देनी होगी।
  • इस पर डॉक्टर डर गया और उसने कॉल करने वाले से ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कराने को कहा। जालसाज यही चाहता था, उसने डॉक्टर की मदद करने का आश्वासन दिया।
  • इसके बाद उसने दिल्ली पुलिस मुख्यालय में तैनात सब इंस्पेक्टर अजय शर्मा का नंबर दिया और उनसे बात करने को कहा। उसने अजय शर्मा को कॉल करके अपनी कहानी बताई।
  • अजय शर्मा ने उससे दस्तावेज मांगे और बताया कि उसके आधार कार्ड पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज हुआ है। दूसरे जालसाज अजय ने उसे बताया कि पिछले दिनों मनीष चौधरी के यहां छापा पड़ा था और डॉक्टर का कार्ड मिला है।
  • उन्होंने यह भी बताया कि उस कार्ड पर करोड़ों रुपए का लेनदेन हुआ है। जालसाज ने उन्हें अपना फोटो लगा कार्ड दिखाया, उस पर अपना फोटो और नाम देखकर वह डर गए और जालसाज की बातों में फंस गए।

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गिरफ्तारी वारंट भी दिखाया

अजय शर्मा ने डॉक्टर को मजिस्ट्रेट द्वारा जारी वारंट भी दिखाया, जिसमें उनकी फोटो और नाम के साथ गिरफ्तारी का आदेश था। इसके बाद उन्होंने डॉक्टर को बताया कि वह निगरानी में हैं और उनके घर के सभी मोबाइल नंबर बंद करवा दिए। उन्हें बाथरूम जाने के लिए भी ठगों की निगरानी में रहना पड़ता था।

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इसके बाद अगले दिन ठगों ने उनसे 21 लाख रुपए आरटीजीएस करवा लिए। इसके बाद उन्हें बताया गया कि वह सीबीआई की टीम की निगरानी में हैं। ठगों ने उनसे कहा कि इस मामले की चर्चा किसी से न करें, नहीं तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

 पीड़ित डॉक्टर से बातचीत

आपने किस बैंक से आरटीजीएस किया? क्या बैंक वालों ने भी आपको सचेत नहीं किया?

  • पीड़ित: मैंने मेला ग्राउंड रोड के एसबीआई से आरटीजीएस किया, बैंक वालों ने मुझे कुछ नहीं बताया। काउंटर पर पैसे रखते समय मन में सवाल आया कि पैसे जमा करूं या नहीं, लेकिन उन्होंने मुझे इतना डरा दिया कि मैंने पैसे जमा कर दिए।

उन्होंने मुझे पैसे जमा करने के लिए क्या कहा? क्या यह केस से मुक्त होने का लालच था या कोई और दबाव?

  • पीड़ित: उन्होंने मुझसे कहा कि उन्हें आपकी चल-अचल संपत्ति की जांच करनी है, एफडी को तोड़ना है, आपके खाते में मौजूद सारा पैसा इकट्ठा करके उन्हें भेजना है। उन्होंने मुझे हैदराबाद में बंधन बैंक के खाते में जमा करने के लिए कहा, जो किसी संस्था के नाम पर था।

आप पढ़े-लिखे डॉक्टर हैं, जालसाजों के जाल में कैसे फंस गए?

  • पीड़ित: मुझे खुद समझ नहीं आया कि क्या हुआ? कोरोना काल में मेरी पत्नी और बेटे की मौत हो गई। मैंने दूसरी शादी कर ली, जिससे मेरी तीन महीने की बेटी है। बेटी को अनाथालय भेजने और मुझे और मेरी पत्नी को केस में फंसाकर जेल में डालने की बात कही। मैं बहुत डरा हुआ था।

आपको कब एहसास हुआ कि आपके साथ धोखा हुआ है?

  • पीड़ित: मैंने इस बारे में पूर्व प्रभारी एसपी राकेश सागर को बताया। उन्होंने मुझसे वे दस्तावेज मांगे जो जालसाजों ने मुझे भेजे थे। उन्होंने तुरंत मुझे आगाह किया कि मेरे साथ धोखा हुआ है। फिर उन्होंने एफआईआर दर्ज कराने में मेरी मदद की।

क्या अब भी धोखेबाजों से कोई संपर्क है या फिर संवाद बंद हो गया है?

  • पीड़ित: मैं अभी भी धोखेबाजों से व्हाट्सएप के जरिए संवाद कर रहा हूं। उन्होंने मुझे दिन में तीन बार अपडेट देने के लिए कहा है। जब मैं अपडेट देने में विफल रहता हूं, तो वे मुझे कॉल करते हैं और मुझसे सवाल पूछते हैं।

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