मध्य प्रदेश के दतिया की भांडेर पंचायत के सचिव मनोज शर्मा के साथ साइबर जालसाजों ने ठगी की है। साइबर जालसाजों ने गैस कनेक्शन का बिल कम करने के नाम पर उनसे 10 रुपए मांगे। इस पर उन्होंने उन्हें एपीके फाइल भेजकर उनके बैंक खाते से दो किस्तों में 5-5 लाख रुपए दूसरे बैंक खाते में ट्रांसफर कर लिए।
साइबर जालसाजों ने गैस कनेक्शन का बिल कम कराने के नाम पर पंचायत सचिव से 10 लाख रुपये ठग लिए। सबसे पहले जालसाज ने पंचायत सचिव के पिता के मोबाइल पर अवंतिका गैस कंपनी का मैनेजर बनकर कॉल किया और कहा कि गैस कनेक्शन का बिल कम हो जाएगा, 10 रुपये खाते में ट्रांसफर करने होंगे।
इसके बाद पंचायत सचिव ने बात की और अपना मोबाइल नंबर दे दिया। जालसाज द्वारा भेजे गए गैस बिल में सही जानकारी थी। यहीं से पंचायत सचिव झांसे में आ गए और उन्होंने गैस बिल नाम से एपीके फाइल डाउनलोड कर ली जो व्हाट्सएप पर भेजी गई।
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इसके बाद खाते से दो किस्तों में 5-5 लाख रुपए की रकम कट गई। यह रकम हैदराबाद के कर्नाटक बैंक के खाते में पहुंची, जहां से यह रकम ट्रांसफर हुई। क्राइम ब्रांच इस मामले की जांच कर रही है।
'मैं मनोज शर्मा पुत्र दुर्गाप्रसाद शर्मा (उम्र 48 वर्ष) निवासी 531 सुरेश नगर थाटीपुर हूं। 27 नवंबर को शाम 6.18 बजे मेरे पिता दुर्गाप्रसाद शर्मा के पास मोबाइल नंबर 7007607311 से कॉल आया कि आपके घर पर अवंतिका गैस कंपनी के कनेक्शन का बिल कम कराने के लिए आप 10 रुपए का भुगतान करें।'
सचिव ने कहा- 'मेरे पिता ने मुझे यह बात बताई। इस पर मैंने भी उनसे बात की तो उन्होंने भी मुझे यही बताया कि वे अवंतिका गैस कंपनी के मैनेजर हैं। वह कॉलर भी 9236266790 से व्हाट्सएप कॉल पर बात करता रहा।'
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'इस दौरान उसने शाम 6.53 बजे मेरे व्हाट्सएप नंबर पर 9236266790 व्हाट्सएप नंबर से 1.9 एमबी की गैस बिल अपडेट एपीके फाइल भेजी। जब मैंने अपने एसबीआई कार्ड से पेमेंट करने के लिए उसे खोला तो एक फॉर्म खुला, जो भरने के बाद सबमिट नहीं हो रहा था, प्रोसेस चल रहा था। कॉल करने वाले ने कहा कि चिंता मत करो, मैं कोशिश करूंगा।'
'इसके बाद कॉल करने वाले ने मेरा मोबाइल नंबर भी डायवर्ट कर दिया और फिर बाद में सही कर दिया। 28 नवंबर की दोपहर को मेरे मोबाइल पर आईएमपीएस और आरटीजीएस का मैसेज आया और मेरे खाते से 5-5 लाख रुपए कट गए। मैंने मामले की लिखित जानकारी झांसी रोड थाने में दी, फिर साइबर क्राइम वेबसाइट पर ऑनलाइन शिकायत भी की। जब शिकायत दर्ज नहीं हो रही थी तो एसपी से मिला। फिर क्राइम ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की।'