- साइबर फ्रॉड: जालसाज साइबर अटैक के जरिए चुराते हैं लोगों का डेटा, फिर डार्क वेब पर करते हैं सौदेबाजी, खुद को बचाने के लिए अपनाएं ये उपाय

साइबर फ्रॉड: जालसाज साइबर अटैक के जरिए चुराते हैं लोगों का डेटा, फिर डार्क वेब पर करते हैं सौदेबाजी, खुद को बचाने के लिए अपनाएं ये उपाय

डार्क वेब पर कुछ विशेष बाज़ार हैं जहाँ डेटा बेचा जाता है।

फोन कॉल, मैसेज या इंटरनेट मीडिया के किसी भी प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों को ठगने वाले साइबर अपराधी किसी व्यक्ति तक अचानक नहीं पहुंचते। उनके पास आप तक पहुंचने के लिए डेटा के रूप में पूरा रोडमैप होता है, जो उन्हें आपके बारे में सबकुछ बता देता है। अपराधी इसी जानकारी के सहारे ठगी करते हैं। कंपनियों, सरकारी, गैर सरकारी एजेंसियों और संस्थाओं के सर्वर से यह डेटा चुराया जाता है। फिर डार्क वेब पर इसका अलग से सौदा होता है।

साइबर ठगी का गहरा दुष्चक्र

साइबर ठगी की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों का कहना है कि साइबर ठगी के इस दुष्चक्र में हैकर्स आपका डेटा चुराने में लगे हुए हैं। ऐसे आपराधिक हैकर विभिन्न मेगा शोरूम, कंपनियों और संस्थाओं पर साइबर हमला करते हैं। उनके सिस्टम में घुसकर उपभोक्ताओं का डेटा चुरा लेते हैं। चुराई गई जानकारी को डार्क वेब पर बेच देते हैं। हर तरह का डेटा अलग-अलग कीमत पर उपलब्ध कराया जाता है।

यह भी पढ़िए- भाभी घर में अकेली थी, देवर ने चुपके से घुसकर दिनदहाड़े किया गंदा काम


पुलिस द्वारा पूछताछ में कई साइबर ठगों ने कबूला है कि बड़ी कंपनियों और बैंकों के उपभोक्ताओं का डेटा 30 से 50 रुपये में मिल जाता है। साइबर क्राइम सेल के गठन के बाद अब तक पुलिस सैकड़ों साइबर ठगों को गिरफ्तार कर चुकी है, लेकिन अभी तक पुलिस डाटा उपलब्ध कराने वाले एक भी अपराधी को नहीं पकड़ पाई है।

अगर आप देश और दुनिया की ताज़ा ख़बरों और विश्लेषणों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो हमारे यूट्यूब चैनल और व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें। 'बेजोड़ रत्ना' आपके लिए सबसे सटीक और बेहतरीन समाचार प्रदान करता है। हमारे यूट्यूब चैनल पर सब्सक्राइब करें और व्हाट्सएप चैनल पर जुड़कर ह

डार्क वेब पर ऐसे होते हैं सौदे

साइबर एक्सपर्ट शोभित चतुर्वेदी बताते हैं कि डार्क वेब इंटरनेट का एक हिस्सा है, जिसे सामान्य इंटरनेट ब्राउजर से एक्सेस नहीं किया जा सकता। इसे डीप वेब का हिस्सा माना जाता है, जो इंटरनेट की सामान्य सतह से नीचे होता है। डार्क वेब तक पहुंचने के लिए टोर (द ऑनियन राउटर) जैसे खास सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है, जो इंटरनेट यूजर की पहचान छिपाता है।

डार्क वेब पर कुछ खास मार्केट प्लेस हैं, जहां डेटा बेचा जाता है। ये वेबसाइट आमतौर पर टोर नेटवर्क पर होस्ट की जाती हैं। इन प्लेटफॉर्म पर खरीदार और विक्रेता दोनों एक-दूसरे से अनजान होते हैं। यहां खरीदार क्रिप्टोकरेंसी जैसे सुरक्षित पेमेंट गेटवे का इस्तेमाल कर लेनदेन करते हैं। इसके अलावा कई बार साइबर अपराधी व्यक्तिगत संपर्कों के जरिए भी डेटा का लेनदेन करते हैं। ये सौदे ऑफलाइन होते हैं, जहां विक्रेता और खरीदार सीधे संपर्क में आते हैं।

यह भी पढ़िए- डाक पार्सल ले जा रहे कंटेनर वाहन ने मॉर्निंग वॉक कर रही तीन महिलाओं को टक्कर मारी, हादसे में कांस्टेबल की पत्नी की मौत

कुछ कारणों से डार्क वेब को पकड़ना मुश्किल

डार्क वेब को पकड़ना या उस पर नियंत्रण स्थापित करना मुश्किल है और इसके पीछे तकनीकी, कानूनी और संरचनात्मक चुनौतियां हैं। डार्क वेब का ज़्यादातर हिस्सा टोर नेटवर्क पर चलता है, जो यूजर की पहचान और लोकेशन छिपाने के लिए एन्क्रिप्शन और मल्टीपल रूटिंग का इस्तेमाल करता है। यह नेटवर्क कई लेयर पर डेटा एन्क्रिप्ट करता है। यह असली आईपी एड्रेस को छिपा देता है और अलग-अलग देशों के सैकड़ों आईपी दिखाता है, जिन तक पुलिस नहीं पहुंच पाती।

अगर आप देश और दुनिया की ताज़ा ख़बरों और विश्लेषणों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो हमारे यूट्यूब चैनल और व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें। 'बेजोड़ रत्ना' आपके लिए सबसे सटीक और बेहतरीन समाचार प्रदान करता है। हमारे यूट्यूब चैनल पर सब्सक्राइब करें और व्हाट्सएप चैनल पर जुड़कर ह

(जैसा कि साइबर एक्सपर्ट शोभित चतुर्वेदी ने नईदुनिया को बताया)

डार्क वेब के खतरे

- निजी जानकारी की चोरी: आपकी निजी जानकारी जैसे बैंक डिटेल, पासवर्ड और पहचान संबंधी जानकारी चुराई जा सकती है और डार्क वेब पर बेची जा सकती है।

- साइबर अटैक: डार्क वेब हैकर्स के लिए साइबर अटैक को संगठित करने और प्लान करने का जरिया बन सकता है।

- अवैध कंटेंट: यहां कई अवैध गतिविधियां होती हैं, जो किसी भी व्यक्ति को कानूनी परेशानी में डाल सकती हैं।

- मैलवेयर और वायरस का खतरा: डार्क वेब पर कई फाइलों में वायरस या मैलवेयर हो सकते हैं, जो आपके डिवाइस को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

डार्क वेब से बचाव के उपाय

- सुरक्षित ब्राउजिंग: किसी भी अनजान या संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें।

- सुरक्षित पासवर्ड: हमेशा मजबूत पासवर्ड का इस्तेमाल करें और उन्हें नियमित अंतराल पर बदलते रहें।

- अपडेटेड एंटीवायरस का इस्तेमाल करें: अपने डिवाइस को सुरक्षित रखने के लिए अपडेटेड एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करें।

- संवेदनशील जानकारी शेयर न करें: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपनी निजी जानकारी शेयर करने से बचें।

- साइबर एक्सपर्ट से सलाह लें: किसी भी संदिग्ध गतिविधि के बारे में तुरंत किसी एक्सपर्ट से संपर्क करें।

- टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करें: अपने अकाउंट को सुरक्षित रखने के लिए यह एक जरूरी उपाय है।

साइबर फ्रॉड के लिए डेटा मुख्य स्रोत है। इसके बिना ठग आप तक नहीं पहुंच सकते। भोपाल साइबर क्राइम पुलिस ने अब तक कई साइबर अपराधियों को पकड़ा है, लेकिन कई आईपी एड्रेस की वजह से हम असली अपराधियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। साइबर ठगों से पूछताछ में भी डेटा चोरी को लेकर अब तक कोई खास सफलता नहीं मिल पाई है। इसलिए अब पुलिस को डेटा चोरी को लेकर नए नियमों की जरूरत है।

- अखिल पटेल, डीसीपी (क्राइम), भोपाल

Comments About This News :

खबरें और भी हैं...!

वीडियो

देश

इंफ़ोग्राफ़िक

दुनिया

Tag