- शहर के नाले दे रहे हैं हादसों को न्योता, सभी प्रमुख सड़कों पर मौजूद हैं जानलेवा खुले नाले, आए दिन होते हैं हादसे

शहर के नाले दे रहे हैं हादसों को न्योता, सभी प्रमुख सड़कों पर मौजूद हैं जानलेवा खुले नाले, आए दिन होते हैं हादसे

शहर के श्रीकांत वर्मा मार्ग, लिंक रोड, तालापारा मेन रोड, जरहाभाठा मेन रोड, सरकंडा मेन रोड, दयालबंद बैंड रोड, मंगला रोड, गौरवपथ, व्यापार विहार रोड में ऐसे खुले नाले आसानी से नजर आ जाते हैं। अगर इन पर ध्यान दिया जाए और इन्हें ढक दिया जाए तो इन नालों से होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है।

शहर में साफ-सफाई और जलनिकासी के लिए बनाए गए नाले अब आमजन के लिए हादसों का सबब बनते जा रहे हैं। शहर के मुख्य मार्गों और मोड़ों पर कई नाले खुले छोड़ दिए गए हैं।

शहर की लगभग हर सड़क की नालियों में ऐसे खुले नाले पाए जाते हैं

ये नाले न केवल पैदल चलने वालों और वाहन चालकों के लिए खतरा हैं, बल्कि मवेशियों और पर्यावरण के लिए भी गंभीर समस्या पैदा कर रहे हैं। इनकी गहराई करीब 10 फीट या उससे अधिक है। अगर कोई इन नालियों में गिर जाए तो जानलेवा चोट लग जाती है। शहर की लगभग हर सड़क की नालियों में ऐसे खुले नाले पाए जाते हैं।

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कभी दोपहिया तो कभी चार पहिया वाहन चालक भी इसमें फंस रहे हैं। जबकि जिम्मेदार नगर निगम इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। नतीजतन नालियों को ढका नहीं जा रहा है और लोगों के इनमें गिरकर घायल होने के मामले लगातार हो रहे हैं। शहर की जलनिकासी व्यवस्था सुधारने के लिए शहर भर में नालों का जाल बिछाया गया है, लेकिन इनसे जलनिकासी व्यवस्था तो नहीं सुधरी, उल्टे अधिकारियों की लापरवाही के कारण बड़े-बड़े नाले हादसों को न्योता देने लगे हैं। पूरी तरह ढकना भूल गए ठेकेदारों ने नालों का निर्माण तो कर दिया, लेकिन उन्हें पूरी तरह ढकना भूल गए। ऐसे में जगह-जगह खुले नाले नजर आते हैं। कई खुले नाले इतने खतरनाक हैं कि दोपहिया व चार पहिया वाहन चालक उनमें गिरकर हादसों का शिकार हो जाते हैं।

रात में होते हैं ज्यादा हादसे

रात के अंधेरे में इन खुले नालों का खतरा और भी बढ़ जाता है। कई जगहों पर अंधेरा होने के कारण वाहन चालकों को नालियां दिखाई नहीं देती, जिससे वे नाले में गिरकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। समय-समय पर ऐसे मामले सामने आते हैं, जिसमें दोपहिया या चार पहिया वाहन नाले में गिर जाते हैं। शहर में दर्जनों स्थानों पर ये नाले मौजूद हैं, लेकिन इन्हें दुरुस्त करने या ढकने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

मवेशी अक्सर नाले में गिरते हैं

खुले नाले में गिरने वाले सिर्फ इंसान ही नहीं, बल्कि मवेशी भी इस खतरे का शिकार हो रहे हैं। खुले नाले के पास चरने वाले मवेशी अक्सर इसमें घुसकर गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। कई बार तो उनकी मौत भी हो जाती है। जो नगर निगम की लापरवाही का नतीजा है।

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नगर निगम है जिम्मेदार

शहरवासियों को सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण उपलब्ध कराना नगर निगम की जिम्मेदारी है, लेकिन खुले नालों की समस्या के प्रति उनका रवैया बेहद उदासीन है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि वे कई बार शिकायत दर्ज करा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। नगर निगम न केवल इस गंभीर समस्या की अनदेखी कर रहा है, बल्कि जनता की सुरक्षा से भी खिलवाड़ कर रहा है।

मुख्य बिंदु जो ध्यान देने योग्य हैं

  • खुले नालों को चिन्हित कर मरम्मत के बाद ढकना चाहिए।
  • प्राप्त शिकायतों पर ध्यान देकर समस्या का तत्काल समाधान किया जाना चाहिए।
  • नाला निर्माण व ढकने के कार्य में लापरवाही बरतने वाले ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
  • जब तक नालों को ढका नहीं जाता, तब तक वहां खुले नालों को दर्शाने वाला बोर्ड या रेडियम लगाया जाना चाहिए।
  • यदि सूचना व शिकायत के बाद भी कार्य नहीं हो रहा है, तो इसकी जानकारी निगम के आला अधिकारियों को दी जानी चाहिए, ताकि कार्य कराया जा सके।

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शहरवासियों को जागरूक होकर शिकायत करनी चाहिए तथा नाला ढकने तक इन नालों के पास वाहन चलाते समय सावधानी बरतनी चाहिए।

क्या कहते हैं राहगीर? खुले नालों को तत्काल ढका जाना चाहिए।

सुरजीत सिंह का कहना है कि खुले नालों के कारण कई गंभीर घटनाएं हो चुकी हैं। निगम की कुव्यवस्था के कारण लोग इन नालों में गिर रहे हैं। निगम प्रबंधन को तत्काल खुले नालों को ढकना चाहिए, ताकि खुले नालों से होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सके।

कई बार आ चुके हैं गंभीर परिणाम

ऋषिराज तिवारी का कहना है कि शहर के खुले नालों के कारण कई बार गंभीर परिणाम आ चुके हैं। इससे कई लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं।

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निगम प्रबंधन को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना होगा और खुले नालों को ढकना होगा, तभी हम इस समस्या से निजात पा सकेंगे।

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