ग्वालियर के लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय खेल एवं शिक्षण संस्थान में शिक्षकों के साथ-साथ छात्रावासों की भी कमी है। ऐसे में यहां सिर्फ 100 छात्रों को ही प्रवेश दिया जाता है। वहीं छात्रों को इस संस्थान में प्रवेश पाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
ग्वालियर। लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय खेल एवं शिक्षा संस्थान में बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन में 200 सीटें हैं, लेकिन ये कभी पूरी नहीं भर पातीं। आमतौर पर 100 सीटों पर ही छात्रों को प्रवेश दिया जाता है, क्योंकि संस्थान के पास इतने छात्रों को प्रवेश देने के लिए पर्याप्त आवास सुविधाएं और शिक्षण स्टाफ नहीं है।
वर्तमान में जितने भी छात्रावास हैं, वे सभी भरे हुए हैं। 2010-11 के बाद छात्रों के लिए कोई नया छात्रावास नहीं बनाया गया, जबकि हर साल छात्रों की संख्या बढ़ती जा रही है। हाल ही में कोल इंडिया लिमिटेड से मिले अनुदान से एक छात्रावास भी बनाया गया, लेकिन वह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए है। इसका उपयोग भी एलएनआईपीई के छात्रों के लिए नहीं किया जा सकता।
इससे एलएनआईपीई में प्रवेश पाने के लिए कड़ी मेहनत करने वाले छात्र निराश हैं। परिसर में 12 छात्रावास हैं, जिनमें से आठ छात्रों के लिए और चार छात्राओं के लिए हैं। इसमें भी एक छात्रावास पीएचडी में प्रवेश लेने वाले छात्रों या संविदा पर नियुक्त शिक्षकों के लिए है, जबकि दो छात्रावास पीजी और डिप्लोमा इन स्पोर्ट्स कोर्स में प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए हैं।
इस प्रकार छात्रों के लिए कुल नौ छात्रावास हैं। इसमें करीब एक हजार छात्र रहते हैं। आवास के साथ ही नियमानुसार 25 छात्रों पर एक शिक्षक होना चाहिए। इसके चलते भी छात्रों को अधिकतम 100 सीटों पर ही प्रवेश दिया जाता है।
सात छात्रावास 1960 के आसपास बने थे, जबकि पांच 2010-11 में बने। अब इन छात्रावासों को रखरखाव की जरूरत है। दिक्कत यह है कि सभी छात्रावास फुल हो गए थे और गर्मी की छुट्टियों के डेढ़ महीने में रखरखाव पूरा करना मुश्किल था। इस वजह से रखरखाव में भी दिक्कत आ रही थी।
इस बार रखरखाव के लिए 11 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत हुई है। संस्थान की योजना है कि एक छात्रावास के छात्रों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए बने छात्रावास में शिफ्ट किया जाए। रखरखाव पूरा होने पर छात्रों को वापस उनके छात्रावास में शिफ्ट कर दिया जाएगा। इसी तरह सभी छात्रावासों के रखरखाव की प्लानिंग की गई है।
संस्थान में डिप्लोमा इन स्पोर्ट्स कोचिंग का डिप्लोमा कोर्स भी शुरू किया गया है। इसमें सीआरपीएफ, बीएसएफ, आर्मी के ऐसे सैनिकों को प्रवेश दिया जाता है, जिन्होंने खेलों में हिस्सा लिया हो। इस कोर्स को पूरा करने के बाद रिटायरमेंट के बाद भी आसानी से कहीं भी कोच के तौर पर काम किया जा सकता है। फिलहाल इसमें 60 सीटें हैं, जिसमें 40 छात्रों ने एडमिशन लिया है।
हमारे पास 200 छात्रों के लिए पर्याप्त आवास नहीं है, इसलिए कम सीटों पर प्रवेश दिया जाता है।
-इंदु बोरा, कार्यवाहक कुलपति, एलएनआईपीई।