शायद यही वजह है कि प्रदेश में मोहन यादव मंत्रिमंडल के गठन को 16 दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है, साथ ही विभागों के वितरण को भी 10 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक मंत्रियों को स्टॉफ नहीं मिला है। यह तथ्य भी छिपा नहीं है कि मंत्रियों के विवादस्पद बनने के पीछे ज्यादातर हाथ उनके नाते रिश्तेदारों के अलावा निजी स्टॉफ का भी रहा है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि ऐसी नियुक्तियां बहुत सोच समझकर और व्यक्ति के बारे में पूरी पड़ताल के बाद ही की जाएं ताकि भविष्य में किसी भी मंत्री के निजी स्टॉफ के कार्यकलापों को लेकर सरकार की छवि को ठेस न पहुंचे। आमतौर पर निजी स्टाफ में वर्षों से कुछ ही लोग अलग अलग विभागों के मंत्रियों के साथ संलग्न रहते आए हैं। लेकिन इस बार इस परंपरा में बदलाव के साथ कुछ नए लोगों को भी अवसर दिया जा सकता है।
गौरतलब है कि पद की शपथ लेने के बाद से ही मंत्रियों ने स्टॉफ की नियुक्ति के लिए राज्य शासन को नोटशीट भेजना शुरू कर दिया था। जिसमें सामान्य प्रशासन विभाग ने सिर्फ गिने-चुने कर्मचारियों को मंत्री स्टॉफ में पदस्थ करने के आदेश जारी किए हैं। जबकि ज्यादातर की नोटशीट रोक ली है। खबर है कि मंत्री स्टॉफ में नियुक्ति मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद ही की जाएगी। सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से मंत्रियों के यहां स्टॉफ की नियुक्ति में हो रही देरी की वजह यह बताई जा रही है कि विभाग मुख्यमंत्री के पास है। ऐसे में मंत्री स्टॉफ में नियुक्ति के लिए फाइल मुख्यमंत्री के पास अनुमोदन के लिए भेजी जा रही है। अनुमोदन मिलने के बाद ही आदेश जारी किए जाएंगे।
हालांकि मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री के पास यह मामला भी पहुंचा है कि मंत्रियों ने अपने स्टॉफ के लिए ज्यादातर उन कर्मचारियों की नोटशीट भेजी हैं, जो पिछली सरकारों के समय भी मंत्री स्टॉफ में पदस्थ रह चुके हैं। खबर है कि कुछ मंत्रियों के स्टॉफ में इस बार नए कर्मचारी भी पदस्थ किए जा सकते हैं। इधर, मंत्री स्टॉफ में नियुक्ति के लिए सिफारिशें सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंच रही हैं। मंत्रियों के पास भी कर्मचारियों की सिफारिशें पहुंची हैं। मंत्री स्टॉफ में नियुक्ति के लिए सिफारिशों का भी ध्यान रखा जाएगा। हालांकि सिफारिशों के आधार पर कितनी नियुक्तियां मंत्री स्टॉफ में होंगी, यह तय नहीं है। सिफारिशें अलग-अलग स्तर से आई हैं।