नई दिल्ली । आम चुनाव 2024 को लेकर कांग्रेस ने अपनी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। मल्लिकार्जुन खरगे को इंडिया गठबंधन का चेयरपर्सन बनाने की चर्चा है। कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में पूरी कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर हमलावर है। लेकिन, उसकी रणनीति में सबसे बड़ा झोल उसी राज्य को लेकर है, जहां अमेठी और रायबरेली जैसी दो प्रतिष्ठापूर्ण सीटें हैं। हालांकि, यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने पद संभालते ही कांग्रेस को पटरी पर लाने के लिए बहुत उठापठक किया। कांग्रेस नेता राय के नेतृत्व में निकली यूपी जोड़ो यात्रा समाप्त होने को हैं, लेकिन बिना किसी उपलब्धि, बिना कोई हो हल्ला किए। तब क्या मान लिया जाए कि कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनावों में अपनी प्रतिष्ठा वाली 2 सीटों (अमेठी और रायबरेली) को लेकर ही सक्रिय रहने वाली है?
जब लड़ाई 24 घंटे राजनीति करने वाली बीजेपी से हो तब मुकाबला इस तरह नहीं होता है कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व चुनाव के मौके पर आए और रैली करके चुनाव जीत ले।10 साल पहले तक भारत में चुनाव इसतरह के जीते जाते रहे हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब भाजपा और आम आदमी पार्टी जैसी पार्टियों का समय है। इन पार्टियों के कार्यकर्ता और संगठन साल के 12 महीने चुनावी मोड में रहते हैं। कांग्रेस नेता राय की हालिया यात्रा से निश्चित ही मृतप्राय कांग्रेस की इकाइयों में हलचल हुई है। यूपी जोड़ो जैसी महत्वपूर्ण यात्रा को अगर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी या मल्लिकार्जुन खरगे का एक दिन का भी सपोर्ट मिलता तब कार्यकर्ताओं में यह संदेश जाता कि उनकी पार्टी यूपी में कुछ बड़ा करने को तैयार है।
लोकसभा चुनाव के लिए इंडिया ब्लॉक में सीट बंटवारे का क्या फार्मूला हो और कांग्रेस कितनी सीटों पर डिमांड करने जा रही है, इस लेकर पार्टी की नेशनल अलायंस कमेटी ने 29-30 दिसंबर को मैराथन मीटिंग की। कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने 291 सीटों पर खुद के दम पर चुनाव लड़ने का प्लान तैयार किया है। चर्चा है कि कांग्रेस यूपी में केवल 10 सीटों पर दावा करने का विचार कर रही है। अगर ये खबर सत्य है, तब इसका मतलब है कि कांग्रेस यूपी से केवल तीन से 4 सीट जीतने की ही उम्मीद कर रही है। अगर पार्टी ऐसा करती है तब निश्चित है कि यूपी में गठबंधन समाजवादी पार्टी को भी मंजूर होगा। उम्मीद है कि कांग्रेस अमरोहा ,सहारनपुर, अमेठी , रायबरेली, सुल्तानपुर आदि सीटों की डिमांड करे। अमेठी और रायबरेली कांग्रेस के लिए बेहद संवेदनशील सीटे हैं। यूं कह सकते हैं कि यही दो सीटें उत्तर भारत में कांग्रेस और गांधी परिवार की नाक का सवाल बन गई हैं। अमेठी में पिछला चुनाव हारने से कांग्रेस और राहुल गांधी की खूब किरकिरी हुई है।