धार । जिला कलेक्टर प्रियंक मिश्रा के निर्देशानुसार एवं जिला कार्यकम अधिकारी सुभाष जैन के मार्ग दर्शन केन्द्र सरकार द्वारा संचालित वन स्टॉप सेंटर 2 मई 2018 से संचालित किया जा रहा है. किसी भी हिंसा से पीड़ित महिलाओं व बालिकाओं के आज तक प्राप्त कुल आवेदन 1478, कुल निराकृत 1126 कोर्ट केस 337, आश्रय संख्या 135 एवं वर्तमान में 15 प्रकरणों की कार्यवाही जारी है। वन स्टॉप सेंटर (सखी) मुख्यतः परिवारों को जोडने का काम करता है. इसी अन्तर्गत प्राप्त आवेदन में सुनिता (काल्पनिक नाम) ने बताया कि वह अपने पत्ति द्वारा शराब पीकर मारपीट करने, बच्चों की जिम्मेदारी ना उठाने और प्रार्थिया को रात बेरात घर से बाहर निकाल देने से बहुत अधिक परेशान हो चुकी थी, कई बार समझौता करके गई भी पंरतु पति के नही सुधारने के कारण पिछले 2 वर्ष से मायके में ही है।
प्रशासक वन स्टॉप सेंटर ज्योत्सना सिंह ठाकुर द्वारा महिला से बात कर समझाइश दी गई कि जो भी लड़ाई झगड़ा हुआ है, उसकी वजह से बच्चों का जीवन खराब हो रहा है, अतः सही निर्णय ले शिकायत के बाद दोनों पक्षों को काउंसलिंग के लिए बुलवाया गया। काउंसलिंग के दौरान काउंसलर के लिए बुलवाया गया। काउंसलिंग के दौरान काउसलर चेतना राठौर द्वारा दोनों पक्षों से बात की गई 2 से 3 काउंसलिंग के बाद सुनिता और विमल आपसी सहमिति से समझौता हो गया 42 वर्ष बाद सुनिता अपने ससुराल लौटी 2 वर्षों से बिखरा परिवार फिर एक हुआ। दूसरे प्रकरण में सीमा द्वारा शिकायत दर्ज की गई,
कि पति अनिल द्वारा पिछले 8 दिनों से लगातार लड़ाई-झगडा मारपीट की जा रही । पूर्व में भी लडाई, मारपीट करते थे परन्तु कभी-कभी अभी प्रताडना और अधिक बढ़ गई, बच्चों के साथ भी मारपीट करने लगे। सास, ससुर से कहती तो बेटे की तरफदारी की जाती। प्रार्थिया को ही डॉट पड़ती थी। दोनों पक्षों की काउंसलिंग 3 से 4 बार की गई, तो ज्ञात हुआ कि अधिक अध्यात्म से जुडने के कारण दोनों पक्षों का गृहस्थ जीवन खराब हो रहा है। अतः समझाइश दी गई, अभी दोनों पक्षों पर अपने बच्चों की जिम्मेदारी है, उसे दोनों ही अनदेखा नहीं कर सकते। सीमा और अनिल की समझाइश के बाद आपसी सहमति होकर समझौता हुआ। सभी के चेहरों पर फिर मुस्कान लौटी। आरक्षक-संतोषी कटारे, केस वर्कर अर्चना सेन लीला रावत, सरिता चौहान द्वारा प्रकरणों की केस हिस्ट्री तैयार की गई।