नई दिल्ली । देश के कई राज्यों में पानी की कमी है, खास तौर पर पीने के पानी की। जहां एक तरफ राजधानी दिल्ली भीषण गर्मी की चपेट में है, वहीं दूसरी तरफ केरल और देश के कई इलाकों में मॉनसून के जल्दी आने की खबर है। लेकिन बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए पर्याप्त और उचित बुनियादी ढांचे की कमी के कारण पीने के पानी की कमी हो गई है। लोकल सर्कल्स के सर्वे के अनुसार, देश में करीब 6.3 करोड़ लोगों को साफ पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसी स्थिति में लोग डायरिया, हैजा और टाइफाइड जैसी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारत में सभी घरों के लिए सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल सुनिश्चित करने की जरूरत है। सर्वे में देश के 322 से अधिक जिलों के करीब 22 हजार लोगों ने हिस्सा लिया। सर्वे में पता चला कि केवल 4 प्रतिशत भारतीय परिवारों ने कहा कि उन्हें अपने लोकल प्लांट से पीने योग्य साफ पानी मिलता है। वहीं, 41 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें मिलने वाले पानी की क्वॉलिटी अच्छी है लेकिन पीने लायक नहीं है। वहीं, सर्वे में दिल्ली के 3733 लोगों ने हिस्सा लिया। इनमें से 28 प्रतिशत ने बताया कि वे पानी को साफ करने के लिए वॉटर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करते हैं। वहीं 41 प्रतिशत आरओ, 6 प्रतिशत फिटकरी और अन्य खनिजों, 8 प्रतिशत गर्म करके, 4 प्रतिशत मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करके पानी की सफाई करते हैं। वहीं, 8 प्रतिशत ने बताया कि वे पीने और खाने के लिए बोतल और 4 प्रतिशत ने कहा कि जैसी सप्लाई आती है, उसे ही पीते हैं सफाई नहीं करते। उधर, 26 प्रतिशत लोगों ने कहा कि पाइप लाइन के पानी की सप्लाई खराब है। 24 प्रतिशत ने इसे औसत, 19 प्रतिशत ने अच्छा, 13 प्रतिशत ने बेहद खराब और 6 प्रतिशत ने बहुत अच्छा बताया। वहीं, 9 प्रतिशत ने कहा कि घर पर पाइप लाइन से पानी नहीं आता। बाकी 3 प्रतिशत ने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।