लखनऊ । सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में सी.एम.एस. गोमती नगर द्वितीय कैम्पस ऑडिटोरियम में चल रही दो दिवसीय ’शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला‘ शिक्षा प्रणाली में गुणात्मक सुधार के संकल्प के साथ आज सम्पन्न हो गई। कार्यशाला के दूसरे व अन्तिम दिन आज अयोध्या, कानपुर, लखनऊ, बाराबंकी आदि विभिन्न जनपदों से पधारे 600 से अधिक शिक्षकों ने मोन्टेसरी से लेकर कक्षा-2 तक के नन्हें-मुन्हें बच्चों हेतु खासतौर पर तैयार किये गये अल्फा प्रोजेक्ट पर गहन चिन्तन-मनन व विचार-विमर्श किया और छोटे बच्चों के लिए शिक्षा को और अधिक रूचिपूर्ण व प्रभावशाली बनाने के गुर सीखे। कार्यशाला के अन्तर्गत छात्रों के सीखने की प्रक्रिया के चार चरणों का प्रस्तुतिकरण किया गया, जिसमें टीचर-चाइल्ड डेमा, चाइल्ड-चाइल्ड डेमो, इन्टायर क्लास पार्टिसिपेशन एवं पीर वर्क प्रोसेस प्रमुख रहे। इसके अलावा, छोटे बच्चों की शिक्षण प्रक्रिया के तौर-तरीकों जैसे ड्रा योर फेवरिट शेप, हैण्ड्सऑन एक्टिविटी, डिकोडिंग एक्टिविटी, सेन्टेन्स मेकिंग एवं क्रिएटिव राइटिंग आदि पर विचार-विमर्श हुआ। विदित हो कि इस कार्यशाला का उद्देश्य मान्टेसरी से लेकर कक्षा 2 तक के नन्हें-मुन्हें छात्रों की सीखने की प्रक्रिया (अल्फा - एक्सीलरेट लर्निंग फॉर ऑल) को बढ़ावा देने हेतु शिक्षकों को प्रशिक्षित करना था। अल्फा परियोजना का शुभारम्भ सिटी इंटरनेशनल स्कूल की संस्थापिका डा. सुनीता गांधी के मार्गदर्शन में वर्ष 2022 में हुआ था तथापि इसका पायलट प्रोजेक्ट सी.एम.एस. गोमती नगर द्वितीय कैम्पस एवं सी.एम.एस. अलीगंज द्वितीय कैम्पस में शुरू किया गया था, जिसका सी.एम.एस. के 11 अन्य कैम्पसों में क्रमश: विस्तार हुआ। इस वर्ष सी.एम.एस. के शेष 11 परिसरों में भी मोन्टेसरी से लेकर कक्षा 2 तक के बच्चों के लिए यह परियोजना प्रारम्भ हो गई है। वर्कशाप के दूसरे दिन शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए सिटी इंटरनेशनल स्कूल की संस्थापिका डा. सुनीता गाँधी ने अल्फा प्रोजेक्ट की अवधारणा से अवगत कराया। डा. सुनीता गाँधी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के अन्तर्गत छोटे बच्चों को देखकर सीखने की भावना पर जोर दिया गया है। ऐसे में यह प्रोजेक्ट बच्चों के लिए बहुत ही रोचक, व्यावहारिक और समय की मांग है। डा. गाँधी ने शिक्षकों का आह्वान किया कि वे छोटे बच्चों के लिए एनिमेटर्स की भूमिका निभायें और रोचक गतिविधियों द्वारा बच्चों को विभिन्न विषयों पर पारंगत करने का प्रयास करें। इसका लाभ यह है कि बच्चे अपनी सामाजिक एवं नैतिक जिम्मेदारी समझते हैं और इसी के अनुरूप कार्य करते हैं। सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि सी.एम.एस. की मेजबानी में आयोजित यह कार्यशाला अत्यन्त सफल रही है, जिसमें शिक्षकों ने बहुत सी नई बातें सीखी हैं और विचारों के आदान-प्रदान ने शिक्षा पद्धति को एक नई दिशा दी है। श्री शर्मा ने कहा कि सी.एम.एस. का मानना है कि प्री-प्राइमरी व प्राइमरी शिक्षा का समय ही वह सबसे अच्छा समय है जब बच्चों के सर्वांगीण विकास की नींव रखी जाती है।